बयफ क जनम क लडक बच क बर स पद
बंदउ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि। महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर॥5॥ बंदउ गुरु पद पदुम परागा। सुरुचि सुबास सरस अनुरागा॥ पद सरोज अनपायनी भगति सदा सतसंग।।14(क)।। बरनि उमापति राम गुन हरषि गए कैलास। तब प्रभु कपिन्ह दिवाए सब बिधि सुखप्रद बास।।14(ख)।। निज प्रभु दरसन पायउँ गए सकल संदेह।।114(क)।। भगति पच्छ हठ करि रहेउँ दीन्हि महारिषि साप। मुनि दुर्लभ बर पायउँ देखहु भजन प्रताप।।114(ख)।। बंदउँ सब के पद कमल सदा जोरि जुग पानि ॥७ (ग ) ॥ देव दनुज नर नाग खग प्रेत पितर गंधर्ब । बंदउँ किंनर रजनिचर कृपा करहु अब सर्ब ॥७ (घ ) ॥ Oct 7, 2014 · सतीं मरत हरि सन बरु मागा। जनम जनम सिव पद अनुरागा।। तेहि कारन हिमगिरि गृह जाई। जनमीं पारबती तनु पाई।।
निज पद भगति देइ प्रभु पुनि दूसर बर देहु॥108(ख)॥ तव माया बस जीव जड़ संतत फिरइ भुलान।